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Last Updated : 28-12-2023

राष्ट्रीय कौशल विकास निधि (एनएसडीएफ)

देश में कौशल विकास के लिए सरकारी और गैर सरकारी दोनों क्षेत्रों से पूंजी एकत्रण के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में राष्ट्रीय कौशल विकास निधि की स्थापना की गई थी। विभिन्न क्षेत्र विशेष कार्यक्रमों द्वारा भारतीय युवाओं के कौशल को बढ़ाने, प्रेरित करने और विकसित करने के लिए विभिन्न सरकारी स्रोतों, और अन्य दाताओं/योगदानकर्ताओं द्वारा निधि को योगदान दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा स्थापित एक सार्वजनिक न्यास इस निधि का संरक्षक है। निधि के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए यह न्यास योगदानकर्ताओं से दान, नकद या अन्य प्रकार का योगदान स्वीकार करता है। इस निधि का संचालन और प्रबंधन न्यासी बोर्ड द्वारा किया जाता है। इस न्यास के मुख्य कार्यकारी अधिकारी न्यास के दैनंदिन प्रशासन और प्रबंधन के लिए उत्तरदायी होते हैं।

यह निधि राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के माध्यम से अपने उद्देश्यों को पूर्ण करता है, जो कौशल विकास क्षमता के निर्माण और बाजार के साथ सुदृढ़ संबंध बनाने के लिए स्थापित एक उद्योग-नीत वाली ‘अलाभकारी कंपनी’ है। एनएसडीसी कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने वाले उद्यमों, कंपनियों और संगठनों को वित्त पोषण प्रदान करके कौशल विकास में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। यह निजी क्षेत्र की पहल को बढ़ाने, समर्थन करने और समन्वय बनाने के लिए उपयुक्त मॉडल भी विकसित करता है। 31 मार्च 2021 तक, एनएसडीएफ़ ने राष्ट्रीय कौशल प्रमाणन और मौद्रिक पुरस्कार स्कीम (स्टार) और उड़ान स्कीम (जम्मू-कश्मीर उन्मुख) सहित कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए एनएसडीसी को 5029.63 करोड़ रु. जारी किए हैं।

इस न्यास के खाते नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक लेखा परीक्षा के अधीन हैं और प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा भी भारत सरकार द्वारा निर्देशित तरीके से लेखा परीक्षा किया जाता है। इस न्यास ने एनएसडीसी द्वारा की गई गतिविधियों की अनुवीक्षण के लिए विस्तारा आईटीसीएल (इंडिया) लिमिटेड को एक स्वतंत्र अनुवीक्षण एजेंसी के रूप में नियुक्त किया है।

संपर्क:

न्यास के अवस्थापक और अध्यक्ष
श्री अतुल कुमार तिवारी, आईएएस,
सचिव,
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय
ईमेल: secy-msde[at]nic[dot]in