भारतीय उद्यमशीलता संस्थान (आईआईई) की स्थापना, तत्कालीन उद्योग मंत्रालय (अब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय), भारत सरकार द्वारा उद्यमशीलता विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले लघु और सूक्ष्म उद्यमों में प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्शी गतिविधियां सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वायत्त संस्थान के रूप में वर्ष 1993 में गुवाहाटी में की गई थी।
इस संस्थान ने अपने अन्य हितधारकों, उत्तर-पूर्व परिषद् (एनईसी), असम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड की सरकारों एवं सिडबी के साथ मिलकर अप्रैल 1994 से कार्य करना आरंभ किया। यह आई.एस.ओ 9001:2015 प्रमाणित संगठन भी है।
उद्देश्य
- उद्यमशीलता को विकसित करना और बढ़ावा देना।
- उद्यमशीलता विकास के लिए अनुसंधान कार्य और परामर्श।
- संस्थान की पहुंच बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, अनुसंधान और अन्य गतिविधियों के लिए दूसरे संगठनों के साथ समन्वय एवं सहयोग।
- एमएसएमई/संभावित उद्यमियों को परामर्श आदि विभिन्न सेवाएं प्रदान करना एवं प्रतिभागियों की रोजगार क्षमता बढ़ाना।
- आईआईई की गतिविधियों/कार्यों में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि करना।
- वैधानिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह करना।
कार्य
- विभिन्न लक्षित समूहों के लिए प्रशिक्षण गतिविधियां तैयार करने के साथ-साथ उन्हें आयोजित करना तथा उद्यमशीलता से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान करना।
- दक्षता, प्रभावकारिता में सुधार और परिवर्तन कारकों और विकास व्यवसायियों अर्थात प्रशिक्षकों, उद्यम निर्माण में कार्यरत सहायक संगठनों की सुपुर्दगी।
- भावी और मौजूदा उद्यमियों को परामर्शी सेवाएं प्रदान करना।
- सहयोगी गतिविधियों के माध्यम से संस्थान की गतिविधियों का विस्तार और सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न साधनों के उपयोग के माध्यम से उनकी प्रभावशीलता में वृद्धि करना।
अवसंरचना:
यह संस्थान लालमती, खेल गाँव के पास, बसिष्ठ चिराली, 37 राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास, गुवाहाटी में स्थित है। संस्थान का परिसर 65,000 वर्ग फुट निर्मित क्षेत्र सहित 3.5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। संस्थान का 1 पुस्तकालय और प्रलेखन केंद्र, 2 सम्मेलन कक्ष, स्नानकक्ष युक्त कुल 60 कमरों वाले 2 छात्रावास और 200 छात्रों के बैठने की क्षमता वाला 1 सभागार है। परिसर में रत्न और आभूषण, रेडीमेड गारमेंट्स, फूड प्रोसेसिंग, लकड़ी के कार्य, सौंदर्य और कल्याण, हथकरघा एवं इलेक्ट्रीशियन हेतु ऊष्मायन केंद्र भी हैं।
सात राज्यों-नगालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय में संस्थान के राज्य कार्यालय भी हैं ।
प्रमुख गतिविधियाँ
संस्थान की प्रमुख गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- प्रशिक्षण: संस्थान विभिन्न लक्षित समूहों के लिए प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीटीपी), प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी), महाविद्यालय और विद्यालय के शिक्षकों के लिए प्राध्यापक वर्ग विकास कार्यक्रम, सरकारी/गैर सरकारी संगठनों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम, उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम (ईडीपी), उद्यमशीलता-सह-कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी) और अन्य प्रायोजित गतिविधियों सहित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
- अनुसंधान: संस्थान अनुसंधान और अध्ययन स्वयं या प्रायोजित आधार पर करता है एवं उत्तरपूर्व भारत और अन्य राज्यों में एमएसएमई के विकास हेतु परामर्श प्रदान करता है। यह संस्थान, केंद्र और राज्य सरकारों के लिए उद्यमशीलता संवर्धन और एमएसएमई के विकास हेतु नीति निर्माण संबंधी विभिन्न इनपुट प्रदान करने के लिए एक उत्प्रेरक तथा संसाधन केंद्र के रूप में भी कार्य करता है। अन्य केंद्रबिंदु क्षेत्रों में एमएसएमई के विकास पर कार्रवाई अनुसंधान, कौशल अंतराल अध्ययन, मूल्यांकन अध्ययन, संभाव्य औद्योगिक सर्वेक्षण, इत्यादि शामिल हैं।
- परामर्श: संस्थान उद्यम योजना, उद्यम प्रबंधन, उद्यम विस्तार, विविधीकरण और विकास, प्रबंधन सलाह, निर्यात और सीमा व्यापार पर विशेषज्ञता के साथ विपणन परामर्श, प्रौद्योगिकी सोर्सिंग, प्रौद्योगिकी प्रसार, परियोजना और रिपोर्ट सहित उद्यमशीलता के विभिन्न क्षेत्रों में सलाह और परामर्श प्रदान करता है।
- संगोष्ठियाँ और कार्यशालाएं: संस्थान वर्तमान विषयों और जागरूकता सृजन पर स्वरोजगार और उद्यमशीलता कार्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु अनुभव साझा करने के लिए संगोष्ठियाँ और कार्यशालाएं आयोजित करता है। इसके अतिरिक्त, संस्थान परियोजना आरंभ करने और उन्हें सफलतापूर्वक प्रबंधित करने में उद्यमियों की समस्याओं को जानने और समाधान करने के लिए उद्यमी सभा का भी आयोजन करता है।
- परियोजनाएं: संस्थान ने विभिन्न परियोजनाएं भी शुरू की हैं जैसे, सतत आजीविका संवर्धन केंद्र (सीएसपीएल); क्लस्टर विकास के लिए क्षेत्रीय संसाधन केंद्र (आरआरसी); विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता विकास परियोजना (एसटीईडी); और ग्रामीण उद्योग कार्यक्रम (आरआईपी); पुरी (ओडिशा), बोधगया (बिहार) और कोल्लुर (कर्नाटक) शहरों में सूक्ष्म और लघु व्यवसायों की उद्यमशीलता संवर्धन और परामर्श पर प्रायोगिक परियोजना और क्षमता निर्माण के लिए उद्यमशीलता को बढ़ावा देना एवं जन शिक्षण संस्थान और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के क्लस्टर कारीगर और प्रधान मंत्री वन धन योजना के अंतर्गत वन संसाधनों के दोहन के माध्यम से जनजातीय आबादी के लिए आजीविका सृजन सुनिश्चित करना।
स्टार्टअप पहलें
"एनईआरईएस 1.0", उद्यमशीलता शिखर सम्मेलन है जिसका उद्देश्य उत्तर पूर्वी राज्यों में होनहार और इच्छुक उद्यमियों को मंच प्रदान करना है। इस पहल के अंतर्गत, 20 सर्वश्रेष्ठ व्यावसायिक विचारों को बढ़ावा देने के लिए 5-5 लाख रुपए की पुरस्कार राशि दी जाएगी।
अधिक जानकारी के लिए कृपया https://iie.gov.in/देखें।